जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग, साधना पास, फिरकियान और अन्य पर्यटन स्थलों में सोमवार को भारी बर्फबारी हुई। मौसम विभाग के मुताबिक यहां कुल 24 इंच तक बर्फबारी हुई है। कुपवाड़ा में बर्फबारी के कारण एक जवान की फिसलने से मौत हो गई। बर्फबारी और भूस्खलन के बाद श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे को फिर से बंद कर दिया गया। कश्मीर के रामबन, रामसू, दिग्दोल में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है। 86 किमी लंबे मुगल रोड से बर्फ हटाई जा रही है। यह 19 दिनों से बंद है। वहीं, ताजा बर्फबारी के कारण श्रीनगर-लद्दाख हाईवे से बर्फ हटाने में बाधा आ रही है। यह भी 15 दिन से बंद है। पाकिस्तान से सटे सीमाई इलाकों केरन, कर्नाह, माछिल का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। देश का हाल: हिमाचल में केलांग सबसे ठंडा, तापमान -6 डिग्री रहा हिमाचल के लाहौल स्पीति, कुल्लू में भी बर्फबारी हुई। यहां केलांग सीजन का सबसे ठंडा इलाका रहा। न्यूनतम तापमान माइनस 6 डिग्री दर्ज हुआ, ये सामान्य से 3 डिग्री कम है। पहाड़ों की हवाओं से मैदानी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, राजस्थान, झारखंड, बिहार में तापमान घट रहा है। मैदानी क्षेत्रों में सबसे ठंडा पंजाब का लुधियाना(9.7 डिग्री) रहा। आगे क्या: 6 राज्यों में बारिश संभव, इससे दिल्ली में प्रदूषण और बढ़ेगा मौसम एजेंसियों के मुताबिक पश्चिम, उत्तर-पश्चिम दिशा से आ रही हवाओं के कारण 26, 27 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में बारिश हो सकती है। इससे यहां आर्दता बढ़ेगी। इस वजह से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ सकता है। जम्मू-कश्मीर में बन रहे नए विक्षोभ के कारण अगले 24 घंटे में उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत 6 राज्यों में हल्की बारिश हो

पेड़-पौधों से इंसान की बीमारी दूर करने के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन केरल के 51 वर्षीय के. बीनू ऐसे शख्स हैं, जो आयुर्वेद के जरिए पेड़-पौधों का इलाज करते हैं। पेशे से स्कूल शिक्षक बीनू ने 100 साल से भी पुराने कई ऐसे पेड़ों को फिर से जिंदा कर दिया, जो ठूंठ हो गए थे। पेड़ों के संरक्षण के लिए वे बीते 10 सालों से जुटे हुए हैं। आसपास ही नहीं, देशभर के लोग अपने पेड़ों की बीमारी के बारे में उन्हें बताते हैं और बीनू उनका इलाज करते हैं- वह भी मुफ्त। उन्होंने वृक्षों को बचाने के लिए वृक्ष आयुर्वेद से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं जो अब केरल के स्कूली कोर्स में भी शामिल की जा रही हैं।


वृक्षों को जीवित इंसान की तरह मानने वाले बीनू अपनी दिनचर्या के मुताबिक सुबह लोगों से उनके वृक्षों की बीमारी सुनते हैं और स्कूल से लौटते समय वृक्षों का इलाज करते हैं। शनिवार-रविवार या फिर छुट्‌टी के दिन वे सुबह से ही वृक्षों के इलाज के लिए मौके पर पहुंच जाते हैं। उन्होंने हाल ही में यूपी के प्रयागराज और कौशांबी में कई एकड़ में अमरूदों के बाग में फैली बीमारी ठीक करने में भी मदद की। बीनू ने 15 साल पहले एक अधजले पेड़ का इलाज कर उसे हराभरा बना दिया तो लाेगाें काे आश्चर्य हुआ। फिर मालायिंचीप्पारा के सेंट जोसेफ स्कूल के कुछ बच्चे उनके पास आए। उनसे कहा कि उनके स्कूल में एक आम का पेड़ है जिसमें कई सालों से आम नहीं फल रहा है। उन्होंने इसका इलाज किया और उसमें आम आने लगे तो बच्चों ने बीनू को 'पेड़ वाले डॉक्टर' की ख्याति दिला दी। आसपास के लोग बीनू को पेड़ वाले डॉक्टर के नाम से ही जानते हैं।


बीनू का कहना है कि उनका ज्यादातर समय दीमक के टीले की मिट्‌टी ढूंढने में निकल जाता है। वे दीमक के टीले की मिट्‌टी से ही बीमार पेड़ों का इलाज करते हैं। 60 साल पहले तक वृक्ष आयुर्वेद काफी प्रचलित था। महर्षि चरक और सुश्रुत ने भी ग्रंथों में पेड़ों की बीमारी का उल्लेख किया है। मैंने अपनी कोशिशों के जरिए सैकड़ों वृक्ष बचाए, यही मेरा उद्देश्य है।


इलाज में दीमक के टीले की मिट्‌टी, गोबर, दूध और घी का प्रयोग करते हैं 


बीनू का कहना है कि वृक्ष आयुर्वेद में पेड़ों की हर बीमारी का इलाज बताया गया है। इनमें दीमक के टीले की मिट्‌टी, धान के खेतों की मिट्‌टी प्रमुख है। गोबर, दूध, घी और शहद का इस्तेमाल भी किया जाता है। केले के तने का रस और भैंस के दूध का भी इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो पेड़ों के घाव में महीनों तक भैंस के दूध की पट्‌टी भी लगानी पड़ती है।